कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव 2021: FAO
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा एक नई रिपोर्ट “कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव: 2021 (The impact of disasters and crises on agriculture and food security: 2021)” प्रस्तुत की है।
- इस रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं एवं अन्य संकटों से कृषि के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा पहली बार इस रिपोर्ट में आर्थिक नुकसान को कैलोरी और पोषण के समतुल्य मापने का प्रयास किया गया है।
“कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव: 2021” रिपोर्ट के बारे में
- इतिहास में शायद ही किसी समय कृषि खाद्य प्रणालियों को इतने अधिक संकटों का सामना करना पड़ा होगा जितना कि पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के समय। उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान मेगाफ़ायर (व्यापक पैमाने पर जंगलों में आग लगना), व्यापक चरम मौसम की घटनाएं, असामान्य रूप से बड़े रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड के हमले एवं कई जैविक खतरे सामने आए। उपरोक्त सन्दर्भ में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा किए गए अध्ययन में निम्न निष्कर्ष सामने आते हैं-
- हाल के वर्षों में आपदाओं एवं संकटों की आवृत्ति, तीव्रता और जटिलता में वृद्धि हुई है।
- ये आपदाएं कृषि आजीविका को तबाह कर सकते हैं जिसके कारण घरेलू से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नकारात्मक आर्थिक परिणाम होंगे एवं यह संभवत: कई पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे।
- खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार 1970 से 1980 के दशक की तुलना में वर्तमान में आपदाओं की मात्रा में 3 गुना की वृद्धि हो गई है।
- किसी आपदा या संकट के समग्र प्रभाव पर्यटन, वाणिज्य और उद्योग जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि पर ज्यादा पड़ता है। उल्लेखनीय है कि किसी आपदा या अन्य संकट का 63% समग्र प्रभाव केवल कृषि पड़ता है।
सबसे ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्र
- अल्पविकसित और निम्न मध्यम आय वाले देशों में आपदाओं एवं अन्य संकटों के कारण कृषि क्षेत्र को सर्वाधिक हानि उठाना पड़ा। उल्लेखनीय है कि 2008 से 2018 तक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त हुए फसलों एवं पशुधन की समग्र लागत 108 अरब डालर थी।
- इस अवधि में आपदाओं हेतु सर्वाधिक सुभेद्य क्षेत्र एशिया था एवं इस काल में इस क्षेत्र में कृषि को 49 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। इसके उपरांत अफ्रीका में 30 बिलियन डॉलर और लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन में 29 बिलीयन डॉलर का नुकसान हुआ।
- कृषि को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाले सबसे बड़े कारक के रूप में सूखे की पहचान की गई है। इसके उपरांत कृषि को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य कारकों में बाढ़, तूफान, कीट एवं बीमारियां और जंगली जानवर आते हैं।
- कम बारिश से या मानसून की विफलता के कारण इस काल में फसल और पशुधन उत्पादन में कुल 34% का नुकसान हुआ जबकि इसी अवधि में जैविक आपदाओं से नौ प्रतिशत उत्पादन में गिरावट आई।
- आपदाओं और अन्य संकटों के साथ-साथ COVID-19 महामारी कृषि क्षेत्र एवं खाद्य सुरक्षा में मौजूद समस्याओं को और बढ़ा रही है।
खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
- आपदाओं के कारण न केवल देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह खाद्य सुरक्षा और देश में पोषण के स्तर को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। उल्लेखनीय है कि खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा पहली बार इस रिपोर्ट में आर्थिक नुकसान को कैलोरी और पोषण के समतुल्य मापने का प्रयास किया गया है।
- 2008 से 2018 के मध्य अल्प एवं कम विकसित देशों में फसल और पशुधन उत्पादन का नुकसान प्रति वर्ष 6.9 ट्रिलियन किलो-कैलोरीज के नुकसान के बराबर था। उल्लेखनीय है कि यह नुकसान 7 मिलियन वयस्कों के द्वारा पूरे वर्ष भर किए गए कैलोरी सेवन के बराबर था।
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के बारे में
- खाद्य और कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष विशेष एजेंसी है जिसका उद्देश्य सबके लिए खाद्य सुरक्षा हासिल करना है। दुसरे शब्दों में FAO को यह सुनिश्चित करना कि लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऊंची गुणवत्ता वाला भोजन नियमित रूप से सुलभ हो ताकि वे सक्रिय और स्वस्थ रहें। खाद्य एवं कृषि संगठन का कार्य वश्विक पोषण स्तर को उठाना, ग्रामीण जनसंख्या का जीवन बेहतर करना और विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान करना है। इस संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी एवं इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है। खाद्य और कृषि संगठन के कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण से संबंधित निम्नलिखित कार्य किए जाते है-
- वैज्ञानिक या तकनीकी मानकों, प्रचलित सर्वश्रेष्ठ विधियों और दृष्टिकोणों का निर्माण और उनका समर्थन करना जिसे राष्ट्रों के स्तर स्तर पर लागू किया जा सके।
- अंतरराष्ट्रीय समझौतों और सम्मेलनों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानदंडों को स्थापित करते हुए सभी भागीदारों के साथ मिलकर काम करना।
- वैश्विक स्तर पर डेटाबेस और सूचना प्रणालियों का विकास और समर्थन करना।
- अध्ययन, रिपोर्ट और सूचनाओं का प्रकाशन करना उदाहरण के लिए “द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड” रिपोर्ट
- स्थायी कृषि में दीर्घकालिक विकास एवं नवाचार के लिए सभी हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों को बढ़ाना देना और प्रासंगिक डिजिटल उपकरणों तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना।
- क्षमता विकास और जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रम को बनाना और उनका समर्थन करना।