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Friday, March 26, 2021

वित्त विधेयक 2021

संसद ने वित्त विधेयक 2021 किया पारित

इस बिल को पहले लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, फिर इसे राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया, जिसने इस विधेयक को बिना विचार के लौटा दिया.


इस बिल को पहले लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, फिर इसे राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया, जिसने इस विधेयक को बिना विचार के लौटा दिया. इसका अर्थ यह है कि, उक्त बिल संसद द्वारा पारित कर दिया गया है. संसद में इस विधेयक का पारित होना बजटीय प्रक्रिया के पूरा होने का प्रतीक है.


वित्त मंत्री ने आगे यह कहा कि, आयकर की दर में कोई बदलाव नहीं होगा. कई विपक्षी सदस्यों ने इस बिल पर हुई बहस के दौरान पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों की ओर इशारा किया और यह कहा कि, पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल के तहत लाया जाना चाहिए.

अन्य विवरण

वित्त विधेयक 2021 नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट को 10 साल की आयकर छूट और निजी क्षेत्र के विकास वित्त संस्थानों को 5 साल की कर छूट प्रदान करता है, जिसे अगले पांच वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है.

वित्त विधेयक एक ऐसा विधेयक होता है जो राजस्व या व्यय से संबंधित है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत, वित्त विधेयक केंद्रीय बजट का एक हिस्सा होता है और यह केंद्रीय बजट में किए गए कर प्रस्तावों के अनुसार, विभिन्न कर कानूनों में सभी आवश्यक संशोधनों को शामिल करता है.

आयकर अधिनियम, 1961 में नए प्रावधान

यह प्रावधान उस ‘निर्दिष्ट व्यक्ति’ द्वारा रिटर्न दाखिल न करने की प्रथा को हतोत्साहित करेगा जिसके मामले में कटौती या वसूली की गई है।

सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008

वित्त मंत्री ने कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत प्रक्रियात्मक और तकनीकी कंपाउंडेबल अपराधों के डिक्रिमिनलाइजेशन की तर्ज पर सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम, 2008 के डिक्रिमिनलाइजेशन का भी प्रस्ताव रखा है।

छोटी कंपनियों की परिभाषा

मंत्री ने पेड-अप कैपिटल की सीमा को बढ़ाकर छोटी कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत छोटी कंपनियों की परिभाषा को संशोधित करने का भी प्रस्ताव दिया है। पेड-अप कैपिटल को “50 लाख रुपये से अधिक नहीं” से बढ़ाकर “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है।

वित्त विधेयक का उद्देश्य

इस केंद्रीय बजट दस्तावेज़ में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए कई कर परिवर्तन प्रस्तावित हैं, जो कई मौजूदा कानूनों से संबंधित हैं. यह वित्त विधेयक सभी संबंधित कानूनों में संशोधन सम्मिलित करना चाहता है, जिससे प्रत्येक अधिनियम के लिए अलग संशोधन लाने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी.