Saturday, March 27, 2021

भारत में अग्नि सुरक्षा प्रणाली

                        

              

भारत में अग्नि सुरक्षा प्रणाली


29 जनवरी, 1964 को रांची में हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन प्लांट में एक बड़ी आग लगने के कारण भारी क्षति हुई। जस्टिस बी मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित आयोग ने तोडफोड़ को आग का कारण माना। जस्टिस बी मुखर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अग्नि और सुरक्षा उपलब्ध करवाने का उत्तरदायित्व सौंपने के लिए एक अनुशासित और समेकित बल की अनुशंसा की।  

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      फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल त्रावणकोर (एफएसीटी) कोचीन में 16.04.1970 को 53 बल कार्मिकों की नफरी के साथ अग्नि स्कंध इकाई की शुरुआत हुई। अंततः भारत सरकार ने जनवरी 1991 में सीआईएसएफ में अलग से एक अग्नि सेवा संवर्ग के सृजन हेतु विविध पदों के लिए भर्ती नियमों का अनुमोदन किया और तदनुसार, अग्नि सेवा संवर्ग ने सीआईएसएफ में 12.01.1991 से कार्य करना शुरु किया। वर्तमान में यह 102 की कुल कार्यात्मक संख्या के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों/अधिष्ठापनों में कार्यरत है।

 
भारत में अग्नि सेवाओं की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में बम्बई एवं कलकता जैसे प्रमुख पत्तनों एवं शहरों से हुई।
 

केऔसुब के अग्नि स्कंध का सिंहावलोकन

      अग्नि स्कंध केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का एक अविभाज्य अंग है जो देषभर की अग्नि सेवाओं में सबसे बड़ा है जिसका प्रबंधन विज्ञान और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले प्रषिक्षित कार्मिकों द्वारा प्रोफेषनल रूप से किया जाता है। प्रथम अग्नि इकाई फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल ट्रावनकोर (एफएसीटी) कोचीन में 16.04.1970 को शुरू की गई थी जिसकी स्वीकृत नफरी 53 कार्मिकों की थी।

 

      केऔसुब एकमात्र ऐसा केन्द्रीय सषस्त्र पुलिस बल है जिसके पास अपना पूर्ण रूप से विकसित अग्नि सेवा स्कंध है। केऔसुब अग्नि सेवा देष में सबसे बड़ा प्रोफेषनल, सुप्रषिक्षित और सुसज्जित अग्निरोधी बल है जो पेट्रो रसायन काॅम्पलेक्स, आॅयल रिफाइनरी, इस्पात संयंत्र, रसायन और उर्वरक संयंत्रों, पत्तन ट्रस्ट, अंतरिक्ष संगठनों, ऊर्जा संयंत्रों, रक्षा प्रतिष्ठानों और वित्त मंत्रालय के अधिष्ठापनों जैसे अतिसंवेदनषील, आघात योग्य और खतरे वाली इकाईयों को अग्नि से सुरक्षा और अग्नि से संरक्षण प्रदान कर रही है। केऔसुब का अग्नि स्कंध 7549 अग्नि प्रोफेषनल की नफरी के साथ देषभर में 102 विभिन प्रतिष्ठानों को आग से सुरक्षा प्रदान कर रहा है।

 

      केऔसुब के पास एक अग्नि सेवा प्रषिक्षण संस्थान (एफएसटीआई) है जिसकी स्थापना देवली, राजस्थान में वर्ष 1987 में 84 कार्मिकों की स्वीकृत संख्या के साथ की गई। बाद में, एफएसटीआई को केऔसुब निसा कैम्पस हाकिमपेट में 1999 में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में इसका उन्नयन किया गया और अब इसमें शारीरिक अभ्यास के लिए मैदान, ड्रिल प्रयोजनों के लिए ब्लैक टाॅप, सिमुलेषन अभ्यास के लिए इन्डस्ट्रियल फायर टाॅवर, रेस्क्यू ड्रिल के लिए ड्रिल टाॅवर, सिमुलेटर अभ्यास के लिए बीए गैलरी, माॅडल फायर स्टेषन, एमटी सेक्षन, सीएसएसआर, एएसएआर, यूएसएआर प्रोप्स एरिया, माॅडल रूम, प्रयोगषाला, सिमुलेटर्स के साथ विषिष्ट प्रषिक्षण उपस्करों के साथ प्रौद्योगिकीय केन्द्र, तरणताल, पुस्तकालय, 147 अग्नि प्रोफेषनल की नफरी के साथ प्रौद्योगिकी एवं प्रषासनिक भवन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।

 

      अग्नि स्कंध के कार्मिकों के लिए प्रषिक्षण आवष्यकताएं अत्यधिक विषिष्ट होती है। उन्हें प्रभावकारी प्रस्तुतिकरण और आधुनिक और उच्च अग्नि जोखिम औद्योगिक सेट-अप के संरक्षण के लिए संगठित किया जाना चाहिए।

 

अग्नि काॅल और बचाई गई संपत्ति का विवरण

क्रमवर्षअग्नि काॅलबचाई गई संपत्ति, लगभग रूपए
120133735111.83 करोड़
220144528137.50 करोड़
320154067219.51 करोड़
420163951326.80 करोड़
52017333964.55 करोड़
Total369341066.24 करोड़
122018256213.17 करोड़
 
“आग से क्षति की भरपाई संभव नहीं है”.

हम 75,00…. से अधिक जवानों के बल हैं हम देष के 102 सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राज्य सरकार के प्रतिष्ठानों को अग्नि सुरक्षा संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।

  • केऔसुब अकादमी निसा, क्षेत्रीय प्रषिक्षण केन्द्रों और अग्नि सेवा प्रषिक्षण संस्थान के माध्यम से एकीकृत बहु-दक्ष प्रषिक्षण।
  • सुरक्षा और अग्नि संरक्षण में परामर्ष उपलब्ध करवाना।
  • एफएसीटी-सीडी, कोचीन में अप्रैल 1970 में प्रथम अग्नि इकाई की शुरूआत की गई।
  • प्रभावकारी अग्नि बचाव अग्नि सुरक्षा, अग्नि रोधी और निरीक्षण के लिए 1991 में केऔसुब में एक अलग अग्नि सेवा संवर्ग बनाया गया।
  • प्रभावकारी अग्नि सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र/राज्य सरकारों के उपक्रमों में अग्नि प्रोफेषनल को शामिल किया गया।
  • अग्नि प्रौद्योगिकी और आग से जूझने वाली तकनीकों के क्षेत्र में अग्नि सेवा स्वयं को आधुनिक गतिविधियों के प्रति सचेत रखती है।
  • उपक्रमों में नियमित अंतरालों में विविध अग्नि सुरक्षा स्कीमों की निगरानी के लिए उपयुक्त कदम उठाए गए हैं।
  • 7549 की कुल नफरी के साथ 102 विभिन्न पीएसयू को अग्नि सुरक्षा की कवरेज उपलब्ध करवाना।
  • अग्नि अभियांत्रिकी और विज्ञान के क्षेत्र में योग्यताओं वाले तकनीकी रूप से दक्ष अग्नि स्कंध के व्यवसायिक कार्मिक।
  • एकमात्र ऐसा सीएपीएफ है जिसके पास अपनी विषिष्ट अग्नि सुरक्षा परामर्ष स्कंध है।




चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में मुंबई के एक मॉल में स्थित अस्पताल में आग लगने के चलते कोरोना वायरस से संक्रमित नौ मरीजों की मौत हो गई है। पिछले वर्ष भी गुजरात के राजकोट के एक कोविड-19 अस्पताल में आग लग गयी थी।
  • इसके साथ ही 9 मार्च 2021 को कोलकाता के स्ट्रैंड रोड इलाके में एक बहुमंजिला में आग लग गयी थी जिसके कारण 4 दमकलकर्मी, एक एसआई और 2 आरपीएफ के जवान समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी।
  • उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में शहरी आवासीय क्षेत्रों एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं में काफी तेजी आई है। इसलिए शहरी क्षेत्रों में अग्नि रोधी अवसंरचना एवं सेवाओं पर पुनः लोगों का ध्यान गया है।


क्यों बढ़ रही है शहरी क्षेत्रों में आग लगने की घटनाएं?

  • भारत में शहरी क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के मानदंडों की अवहेलना काफी आम हो गयी है क्योंकि भारत में अधिकतर शहर अनियोजित तरीके से बसे हैं, इसलिए शहरी आग असंवेदनशील हो जाते है।
  • शॉर्ट सर्किट और गैस सिलेंडर में विस्फोट के साथ मानवीय लापरवाही आदि कई ऐसे प्रमुख प्रत्यक्ष कारण हैं जो भरत में शहरी आग के लिए उत्तरदाई हैं।
  • इसके अतिरिक्त, शहरी आग के परोक्ष कारणों में रिहायशी क्षेत्रों में अवैध व्यावसायिक गतिविधियां, भवन व अग्नि सुरक्षा के दिशानिर्देशों की अवहेलना, दमकल विभाग में आधुनिक उपकरणों, गाड़ियों, दमकल केंद्रों की अपर्याप्त संख्या एवं आधारभूत संरचना का अभाव आदि हैं।
  • अनियोजित शहरीकरण, बढ़ती गगनचुंबी इमारतों की संख्या और आम नागरिक के पास अग्नि सुरक्षा संसाधनों की अनुपलब्धता व आग से बचाव के प्रति जागरूकता का अभाव आदि भी शहरी आग के कारण हैं।
  • बड़े- बड़े शहरों में व्यावसायिक भवनों में आग से बचाव के उपकरण तो लगाए जाते हैं, लेकिन वहां कार्य करने वाले कर्मचारियों को अक्सर इन उपकरणों के संचालन की व्यावहारिक जानकारी नहीं होती है।
  • भारत में यह भी देखा गया है कि शहरों में व्यावसायिक भवनों में आग से बचाव के उपकरण केवल इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए उसे स्थानीय निकाय से अग्निरोधी उपकरणों के होने का प्रमाणपत्र हासिल हो सके।

भारत में अग्नि सुरक्षा हेतु विविध उपबंध

1. अग्नि सुरक्षा प्रणाली

  • देश में अग्नि सुरक्षा संगठनों की अगुआई सरकारी अधिकारियों, स्थानीय सरकार व निजी उद्यमी कर रहे हैं, अग्नि सुरक्षा प्रणाली के बुनियादी कार्य निम्न हैं-
  • आग (उपकरण, सुरक्षात्मक उपकरण, संचार, अग्निरोधी इत्यादि) के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी के लिए डिजाइन किए गए विशेष तकनीकी का इजाद करना।
  • विचाराधीन क्षेत्र में लाइसेंस प्रदान करना।
  • स्वैच्छिक अग्निशमक स्वयंसेवकों की सहायता करना।
  • अग्नि सुरक्षा पर्यवेक्षण का कार्यान्वयन करना।
  • एक अग्निशमन व्यवस्था की स्थापना करना।

2. सरकारी प्रयास एवं संस्थागत तंत्र

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(National Disaster Management Authority-NDMA) ने अग्निशमन सेवाओं से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किये हैं। सभी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों व उनसे सम्बद्ध स्थानीय निकायों द्वारा इन दिशा-निर्देशों का अनुपालन किये जाने की अपेक्षा की गई है।
  • गौरतलब है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243W व 12वीं अनुसूची में अग्निशमन सेवाएँ से संबन्धित प्रावधान हैं।
  • भारत सरकार द्वारा निर्मित भारतीय भवन निर्माण संहिता, 2016 (National Building Code of India, 2016) में भवनों में आग लगने की घटनाओं तथा उनसे बचाव के आवश्यक उपायों का उल्लेख किया गया है।

3. फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FSAI)

  • फायर एंड सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया एक गैर-लाभकारी संगठन है जो 2002 से फायर प्रोटेक्शन के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। इसके प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
  • भारत के सभी नागरिकों को सुरक्षित रहने की भावना को बढ़ावा देना और हर समय सुरक्षा और सुरक्षा के प्रति सक्रिय करना।
  • अग्नि सुरक्षा और सुरक्षा प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • अग्नि सुरक्षा से संबन्धित जागरूकता विकसित करना।
  • अपने सदस्यों के बीच उच्च नैतिक मानकों को बनाये रखना।

4. 'फायर पार्क' (Fire Park)

  • कुछ दिनों पूर्व भारत का पहला फायर पार्क ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थापित किया गया था।
  • यह फायर पार्क भुवनेश्वर में ओडिशा फायर एंड डिजास्टर अकादमी के परिसर के अंदर स्थित है।
  • इसमें अग्नि सुरक्षा से संबन्धित प्रणाली, अग्निशमन उपकरण, बचाव और आपदा संचालन इत्यादि की जानकारी उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • ओडिशा के इस 'फायर पार्क' को अग्नि सुरक्षा उपायों पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है ।
  • यह फायर पार्क लोगों, विशेषकर छात्रों के बीच बुनियादी अग्नि सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता लाएगा।

5. अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास केंद्र

  • उत्तर प्रदेश के पिलखुवा में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण(Fire Safety Training) के लिए कौशल विकास केंद्र (Skill Development Centre -SDC) स्थापित किया गया है।
  • अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास केंद्र को दिल्ली स्थित डीआरडीओ के ‘अग्नि, विस्‍फोटक और पर्यावरण सुरक्षा प्रयोगशाला केन्‍द्र’(Centre for Fire, Explosive and Environment Safety -CFEES) द्वारा विकसित किया गया है।
  • भारत में अपनी तरह का यह पहला कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) है।
  • इसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाकर और यथार्थवादी पैमाने पर अग्नि के दृष्टिकोण से सिमुलेशन सिस्टम स्थापित करके बनाया गया है ताकि चुनौतियों का सामना किया जा सके व सशस्त्र बलों में रक्षा अग्निशमन सेवा के कार्मिकों और लड़ाकों के कौशल को बढ़ाया जा सके।

वर्तमान में अग्नि सुरक्षा प्रणाली के दोष

  • कई राज्यों में एकीकृत अग्नि सेवा का नहीं होना
  • पर्याप्त संख्या में अग्निशमन केंद्र का नहीं होना
  • अपर्याप्त अग्निशमन बल एवं समुचित प्रशिक्षण का अभाव
  • बढ़ती हुई तकनीकी के अनुरूप अत्याधुनिक उपकरणों की कमी
  • अग्नि सुभेद्य क्षेत्रों का वर्गीकरण नहीं किया जाना जहां पर आग लगने की प्रबल संभावना हो
  • आग लगने की घटनाओं को रोकने के बजाय आग लगने पर अग्नि रोधी सेवाओं को देने प्राथमिकता
  • कर्मचारियों के निम्न प्रशिक्षण एवं कर्मचारियों के निम्न संख्या के कारण फायर सेफ्टी ऑडिट का क्रियान्वयन नहीं हो पाना

आगे की राह

  • अग्निशमन सेवाओं से जुड़े लोगों को आवश्यक प्रशिक्षण के साथ-साथ नवीनतम उपकरण प्रदान करना
  • एकीकृत अग्निशमन सेवाओं को बढ़ावा देना
  • शहरी क्षेत्रों चाहे वह आवासी हो या व्यवसायिक उनके फायर सेफ्टी ऑडिट पर ध्यान देना
  • फायर सेफ्टी ऑडिट को अनिवार्य किया जाना जिसका मूल्यांकन किसी स्वतंत्र एजेंसी के तहत किया जाए
  • शहरी क्षेत्रों में अग्नि रोधी अवसंरचना विकास को बढ़ावा दिया जाए



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