25 May 2021 Current Affairs |
नेपाल की राष्ट्रपति ने भंग की संसद, नवंबर में होंगे यहां नए चुनाव: पढ़ें विवरण
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई, 2021 को कैबिनेट की सिफारिश पर देश की प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है और इस वर्ष नवंबर में नए सिरे से चुनाव कराने का आह्वान किया है.
नेपाल की राष्ट्रपति |
नेपाल में राष्ट्रपति कार्यालय ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (7) के अनुसार दूसरी बार प्रतिनिधि सभा को भंग करने की घोषणा करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी की है. नेपाल के मंत्रिमंडल की सिफारिश के अनुसार, 12 नवंबर और 19 नवंबर, 2021 को नेपाल में नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे.
• मौजूदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने यह दावा किया था कि, उन्होंने जनता समाजवादी पार्टी के सदस्यों सहित 153 सांसदों का समर्थन हासिल किया है, जबकि नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष देउबा ने यह दावा किया था कि, उनके पास 149 सांसदों के हस्ताक्षर हैं.
• ये दावे मान्य नहीं थे क्योंकि नेपाल की प्रतिनिधि सभा में केवल 275 सदस्य होते हैं.
• इसलिए, राष्ट्रपति भंडारी ने ओली की सिफारिश पर, नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (7) के अनुसार दूसरी बार सदन को भंग करने की घोषणा कर दी है, जिसमें यह कहा गया है कि, न तो ओली और न ही देउबा के पास फ्लोर टेस्ट पास करने के लिए सांसदों का पूर्ण बहुमत है.
• नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (7) के अनुसार, यदि खंड (5) के तहत नियुक्त प्रधानमंत्री विश्वास मत प्राप्त करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सिफारिश पर, प्रतिनिधि सभा को भंग कर देंगे और अगले छह महीने के भीतर एक और चुनाव कराने की तारीख तय करेंगे.
• सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2021 में भंग किए गए सदन को यह कहते हुए बहाल कर दिया था कि, सदन का विघटन असंवैधानिक था. ओली ने विघटन के अपने इस कदम का बचाव करते हुए यह कहा था कि, उनके पास और कोई विकल्प नहीं था क्योंकि सत्ताधारी दल के विरोधी उन्हें काम नहीं करने दे रहे थे.
• 10 मई को ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गए. हालांकि, जब शेर बहादुर देउबा ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ा तो गठबंधन सरकार बनाने में विफल रहे, केपी शर्मा ओली को 14 मई, 2021 को अनुच्छेद 76 (3) के तहत नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर फिर से नियुक्त किया गया.
Microsoft ने की इंटरनेट एक्सप्लोरर बंद करने की घोषणा, जानें वजह
विश्व की जानी-मानी टेक कंपनी माइक्रोसोफ्ट (Microsoft) ने यूजर्स को झटका देते हुए अपने पॉपुलर वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) को बंद करने का घोषणा किया है. माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्स्प्लोरर ने पिछले 25 सालों से ज्यादा समय तक लोगों को सेवा दी है.
माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही में एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि इस वेब ब्राउजर की पेशकश विंडोज 95 के साथ की गई थी. अब माइक्रोसॉफ्ट ने आधिकारिक रूप से बता दिया है कि इंटरनेट एक्सप्लोरर अगले वर्ष 2022 में 15 जून को रिटायर हो जाएगा.
माइक्रोसॉफ्ट एज के कार्यक्रम प्रबंधक सीन लिंडर्से ने इस फैसले के बारे में पर कहा कि इंटरनेट एक्सप्लोरर 11 डेस्कटॉप अनुप्रयोग सेवामुक्त हो जाएगा और विंडोज 10 के कुछ संस्करणों के लिए 15 जून 2022 से इसका समर्थन बंद हो जाएगा.
उन्होंने आगे कहा कि विंडोज 10 पर इंटरनेट एक्सप्लोरर का भविष्य माइक्रोसॉफ्ट एज है. माइक्रोसॉफ्ट एज न केवल इंटरनेट एक्सप्लोरर की तुलना में एक तेज, अधिक सुरक्षित और अधिक आधुनिक ब्राउजिंग अनुभव है, बल्कि यह पुरानी, पारंपरिक वेबसाइटों और अनुप्रयोगों के अनुप्रयोगों के अनुरूप भी है.
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वह अगले साल 15 जून को अपने ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर को सेवामुक्त कर देगा, जो लगभग 25 साल से इंटरनेट यूजर को अपनी सेवाएं दे रहा है.
माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर को 16 अगस्त 1995 को रिलीज किया था. ये इस तरह का पहला वेब ब्राउजर था जिसको लोगों ने हाथों हाथ लिया. लोग साइबर कैफे में इसी वेब ब्राउजर पर काम किया करते थे. वर्ष 2003 तक माइक्रोसॉफ्ट का ये ब्राउजर इंटरनेट की दुनिया में टॉप पर था.
इसके बंद होने का कारण
माइक्रोसॉफ्ट का इंटरनेट एक्सप्लोरर दुनिया के सभी कंप्यूटर और लैपटॉप में पहले से ही इंस्टॉल्ड आता है, लेकिन क्रोम और मॉजिला फायरफॉक्स ने लगातार अपने को अपडेट किया. कुछ ना कुछ नया किया जिसके कारण लोगों में अपनी ज्यादा पहुंच बना ली. अब 25 साल के बाद माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर केवल इतिहास में रह जाएगा. इंटरनेट एक्सप्लोरर को बंद करने के पीछे की वजह आज इसका कम इस्तेमाल होना है. 25 साल से चला आ रहे इस ब्राउजर को आज की तारीख में केवल पांच प्रतिशत लोग ही इस्तेमाल करते हैं.
ब्लैक और व्हाइट के बाद अब यलो फंगस, जानिए कितना खतरनाक है ये फंगस
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कहर के बीच पहले से ही ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस ने देश के लोगों की मुश्किलें बढ़ा रखी है. इस बीच, अब यलो फंगस सामने आया है. यलो फंगस का यह मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सामने आया है. यह पहले दोनों फंगस के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है.
डॉक्टरों के अनुसार यह यलो फंगल, ब्लैक और व्हाइट फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक है. यलो फंगस का शिकार हुए इस मरीज का फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस बीमारी को म्यूकर स्पेक्टिक्स कहा जाता है. आइए, जानते हैं क्या है यलो फंगस और पिछले दोनों फंगल इंफेक्शन से कितने अलग हैं?
विशेषज्ञों की मानें तो यलो फंगस के सिम्टम्स ब्लैक और वाइट फंगल इंफेक्शन दोनों से अलग हैं, जो शरीर के आंतरिक भागों से शुरू होता है. यह संक्रमण शरीर में मवाद के रिसाव के कारण बनता है. इसके लक्षण बाकी दो फंगल इंफेक्शन से अलग हैं. लेकिन जैसे-जैसे ये शरीर के अंदर बढ़ता है वैसे-वैसे घातक रूप ले लेता है.
यलो फंगस के लक्षण क्या है?
विशेषज्ञों के अनुसार, यलो फंगस की लक्षण नाक बहना और सिरदर्द जैसे ही हैं, लेकिन यह फंगस घाव को भरने नहीं देता है और इसी वजह से यह ज्यादा खतरनाक कहा जाता है. यलो फंगस शरीर को अंदर से कमजोर करता है. इससे पीड़ित मरीज को सुस्ती और भूख खत्म होने जैसी शिकायतें रहती हैं. इसका असर बढ़ने के साथ ही मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है.
यलो फंगस के लक्षण नाक का बंद होना, शरीर के अंगों का सुन्न होना, शरीर में दर्द रहना, शरीर में अत्यधिक कमजोरी होना, हार्ट रेट का बढ़ जाना, शरीर में घावों से मवाद बहना और शरीर कुपोषित सा दिखने लगना इत्यादि है.
यलो फंगस: संक्रमण की वजह
विशेषज्ञों के अनुसार, सफाई की कमी और प्रदूषित खान पान यलो फंगस की वजह हो सकती है, साथ ही स्टेरॉयड और एंटी फंगल दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल भी इसका एक कारण हो सकता है. जिस वजह से कोविड-19 से ठीक हुए लोगों को भी ये संक्रमण गिरफ्त में ले रहा है.
यलो फंगस किसमें पाया जाता है?
यलो फंगस छिपकली और गिरगिट जैसे जीवों में पाया जाता था. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलो फंगल इंफेक्शन का जो मामला सामने आया है, वह छिपकली, सांप, मेढक, गिरगिट जैसे रेप्टाइल वर्ग के जंतुओं में पाया जाता था. इस म्यूकस सेप्टिकस (यलो फंगस) को जिंक काफी आकर्षित करता है.
भारत-इजरायल ने कृषि सहयोग के लिए 03 वर्षीय कार्य योजना पर किए हस्ताक्षर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बताया कि 24 मई, 2021 को भारत और इजरायल की सरकारों ने कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लक्ष्य के साथ वर्ष, 2023 तक तीन साल की संयुक्त कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए हैं.
भारत में इज़राइल के राजदूत रॉन मल्का ने यह कहा कि, इस तीन साल की कार्य योजना (वर्ष, 2021-2023) से स्थानीय स्तर पर किसानों को उत्कृष्टता के गांवों और उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से लाभ होगा. यह कार्य योजना भारत और इस्राइल के बीच बढ़ती साझेदारी की मजबूती का प्रतीक है.
इज़राइल के राजदूत रॉन मलका ने यह भी कहा कि, यह तीन साल की कार्य योजना मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों (CEOs) को बढ़ाने, CEOs मूल्य श्रृंखला को विकसित करने, नए केंद्र स्थापित करने और CEOs को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करेगी.
5वीं भारत-इजरायल कृषि कार्य योजना (IIAP) के बारे में
• यह 5वीं इंडो-इज़राइल एग्रीकल्चर एक्शन प्लान (IIAP), कृषि सहयोग के लिए भारत और इज़राइल के बीच तीन साल की कार्य योजना है, जिसका उद्देश्य भारत-इज़राइल द्विपक्षीय संबंधों और कृषि और कृषक समुदाय के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना है.
• इस कार्य योजना, भारत-इजरायल के उत्कृष्टता गांव (VoE) के तहत, कृषि क्षेत्र में एक मॉडल पारिस्थितिकी तंत्र को आठ राज्यों में स्थापित किया जाएगा और इसके साथ ही 75 गांवों के भीतर 13 इंडो-इज़राइल कृषि परियोजना उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) भी स्थापित किए जाएंगे.
भारत- इज़राइल कृषि कार्य योजना (IIAP) के बारे में
• भारत-इज़राइल कृषि कार्य योजना (IIAP), एक द्विपक्षीय साझेदारी है जिस पर भारत और इज़राइल ने 10 मई, 2006 को तेल अवीव में हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को इज़राइल के उत्कृष्टता के केंद्रों (CoE) के माध्यम से भारत के हरियाणा और महाराष्ट्र में स्थानांतरित किया गया था.
• ऐसी चार कृषि कार्य योजनाएं (IIAP) अब तक सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं - पहली IIAP (2008-10), दूसरी IIAP (2012-15), तीसरी IIAP (2015-18), और चौथी IIAP (2018-20).
• कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग के लिए इज़राइली एजेंसी - MASHAV इज़राइल के इस सबसे बड़े G2G सहयोग को संचालित कर रही है.
• अब तक IIAP के तहत, 29 उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) स्थापित किए जा चुके हैं और देश-भर के 12 राज्यों में संचालित हो रहे हैं.
BCS-S IAS |
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