Saturday, March 27, 2021

भारत में अग्नि सुरक्षा प्रणाली

                        

              

भारत में अग्नि सुरक्षा प्रणाली


29 जनवरी, 1964 को रांची में हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन प्लांट में एक बड़ी आग लगने के कारण भारी क्षति हुई। जस्टिस बी मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित आयोग ने तोडफोड़ को आग का कारण माना। जस्टिस बी मुखर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अग्नि और सुरक्षा उपलब्ध करवाने का उत्तरदायित्व सौंपने के लिए एक अनुशासित और समेकित बल की अनुशंसा की।  

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      फर्टिलाइजर्स एंड कैमिकल त्रावणकोर (एफएसीटी) कोचीन में 16.04.1970 को 53 बल कार्मिकों की नफरी के साथ अग्नि स्कंध इकाई की शुरुआत हुई। अंततः भारत सरकार ने जनवरी 1991 में सीआईएसएफ में अलग से एक अग्नि सेवा संवर्ग के सृजन हेतु विविध पदों के लिए भर्ती नियमों का अनुमोदन किया और तदनुसार, अग्नि सेवा संवर्ग ने सीआईएसएफ में 12.01.1991 से कार्य करना शुरु किया। वर्तमान में यह 102 की कुल कार्यात्मक संख्या के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों/अधिष्ठापनों में कार्यरत है।

 
भारत में अग्नि सेवाओं की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में बम्बई एवं कलकता जैसे प्रमुख पत्तनों एवं शहरों से हुई।
 

केऔसुब के अग्नि स्कंध का सिंहावलोकन

      अग्नि स्कंध केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का एक अविभाज्य अंग है जो देषभर की अग्नि सेवाओं में सबसे बड़ा है जिसका प्रबंधन विज्ञान और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले प्रषिक्षित कार्मिकों द्वारा प्रोफेषनल रूप से किया जाता है। प्रथम अग्नि इकाई फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल ट्रावनकोर (एफएसीटी) कोचीन में 16.04.1970 को शुरू की गई थी जिसकी स्वीकृत नफरी 53 कार्मिकों की थी।

 

      केऔसुब एकमात्र ऐसा केन्द्रीय सषस्त्र पुलिस बल है जिसके पास अपना पूर्ण रूप से विकसित अग्नि सेवा स्कंध है। केऔसुब अग्नि सेवा देष में सबसे बड़ा प्रोफेषनल, सुप्रषिक्षित और सुसज्जित अग्निरोधी बल है जो पेट्रो रसायन काॅम्पलेक्स, आॅयल रिफाइनरी, इस्पात संयंत्र, रसायन और उर्वरक संयंत्रों, पत्तन ट्रस्ट, अंतरिक्ष संगठनों, ऊर्जा संयंत्रों, रक्षा प्रतिष्ठानों और वित्त मंत्रालय के अधिष्ठापनों जैसे अतिसंवेदनषील, आघात योग्य और खतरे वाली इकाईयों को अग्नि से सुरक्षा और अग्नि से संरक्षण प्रदान कर रही है। केऔसुब का अग्नि स्कंध 7549 अग्नि प्रोफेषनल की नफरी के साथ देषभर में 102 विभिन प्रतिष्ठानों को आग से सुरक्षा प्रदान कर रहा है।

 

      केऔसुब के पास एक अग्नि सेवा प्रषिक्षण संस्थान (एफएसटीआई) है जिसकी स्थापना देवली, राजस्थान में वर्ष 1987 में 84 कार्मिकों की स्वीकृत संख्या के साथ की गई। बाद में, एफएसटीआई को केऔसुब निसा कैम्पस हाकिमपेट में 1999 में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में इसका उन्नयन किया गया और अब इसमें शारीरिक अभ्यास के लिए मैदान, ड्रिल प्रयोजनों के लिए ब्लैक टाॅप, सिमुलेषन अभ्यास के लिए इन्डस्ट्रियल फायर टाॅवर, रेस्क्यू ड्रिल के लिए ड्रिल टाॅवर, सिमुलेटर अभ्यास के लिए बीए गैलरी, माॅडल फायर स्टेषन, एमटी सेक्षन, सीएसएसआर, एएसएआर, यूएसएआर प्रोप्स एरिया, माॅडल रूम, प्रयोगषाला, सिमुलेटर्स के साथ विषिष्ट प्रषिक्षण उपस्करों के साथ प्रौद्योगिकीय केन्द्र, तरणताल, पुस्तकालय, 147 अग्नि प्रोफेषनल की नफरी के साथ प्रौद्योगिकी एवं प्रषासनिक भवन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।

 

      अग्नि स्कंध के कार्मिकों के लिए प्रषिक्षण आवष्यकताएं अत्यधिक विषिष्ट होती है। उन्हें प्रभावकारी प्रस्तुतिकरण और आधुनिक और उच्च अग्नि जोखिम औद्योगिक सेट-अप के संरक्षण के लिए संगठित किया जाना चाहिए।

 

Friday, March 26, 2021

SSC MTS Related 150 important question

SSC MTS Related 150 important question

वित्त विधेयक 2021

संसद ने वित्त विधेयक 2021 किया पारित

इस बिल को पहले लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, फिर इसे राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया, जिसने इस विधेयक को बिना विचार के लौटा दिया.


इस बिल को पहले लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, फिर इसे राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया, जिसने इस विधेयक को बिना विचार के लौटा दिया. इसका अर्थ यह है कि, उक्त बिल संसद द्वारा पारित कर दिया गया है. संसद में इस विधेयक का पारित होना बजटीय प्रक्रिया के पूरा होने का प्रतीक है.


वित्त मंत्री ने आगे यह कहा कि, आयकर की दर में कोई बदलाव नहीं होगा. कई विपक्षी सदस्यों ने इस बिल पर हुई बहस के दौरान पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों की ओर इशारा किया और यह कहा कि, पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल के तहत लाया जाना चाहिए.

अन्य विवरण

वित्त विधेयक 2021 नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट को 10 साल की आयकर छूट और निजी क्षेत्र के विकास वित्त संस्थानों को 5 साल की कर छूट प्रदान करता है, जिसे अगले पांच वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है.

वित्त विधेयक एक ऐसा विधेयक होता है जो राजस्व या व्यय से संबंधित है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत, वित्त विधेयक केंद्रीय बजट का एक हिस्सा होता है और यह केंद्रीय बजट में किए गए कर प्रस्तावों के अनुसार, विभिन्न कर कानूनों में सभी आवश्यक संशोधनों को शामिल करता है.

आयकर अधिनियम, 1961 में नए प्रावधान

यह प्रावधान उस ‘निर्दिष्ट व्यक्ति’ द्वारा रिटर्न दाखिल न करने की प्रथा को हतोत्साहित करेगा जिसके मामले में कटौती या वसूली की गई है।

सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008

वित्त मंत्री ने कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत प्रक्रियात्मक और तकनीकी कंपाउंडेबल अपराधों के डिक्रिमिनलाइजेशन की तर्ज पर सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम, 2008 के डिक्रिमिनलाइजेशन का भी प्रस्ताव रखा है।

छोटी कंपनियों की परिभाषा

मंत्री ने पेड-अप कैपिटल की सीमा को बढ़ाकर छोटी कंपनियों के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत छोटी कंपनियों की परिभाषा को संशोधित करने का भी प्रस्ताव दिया है। पेड-अप कैपिटल को “50 लाख रुपये से अधिक नहीं” से बढ़ाकर “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है।

वित्त विधेयक का उद्देश्य

इस केंद्रीय बजट दस्तावेज़ में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए कई कर परिवर्तन प्रस्तावित हैं, जो कई मौजूदा कानूनों से संबंधित हैं. यह वित्त विधेयक सभी संबंधित कानूनों में संशोधन सम्मिलित करना चाहता है, जिससे प्रत्येक अधिनियम के लिए अलग संशोधन लाने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी.




Thursday, March 25, 2021

जलवायु डेटा सेवा पोर्टल और विश्व मौसम विज्ञान दिवस

विश्व मौसम विज्ञान दिवस समारोह और जलवायु डेटा पोर्टल का उद्घाटन,



भारतीय मौसम विभाग - आज़ादी का अमृत महोत्सव के एसओपी और ब्रोशर का विमोचन

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 23 मार्च, 2021 को विश्‍व मौसम विज्ञान दिवस-आजादी का अमृत महोत्‍सव का समारोह आयोजित किया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ.एम.राजीवन इस समारोह के मुख्‍य अतिथि थे। उन्‍होंने इस अवसर पर भारतीय मौसम विभाग के जलवायु डेटा सेवा पोर्टल का उद्घाटन किया। उन्‍होंने डॉ. एम. महापात्रा, डीजीएम की उपस्थिति में आईएमडी के मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) औरब्रोशर ऑनलाइन जारी किए। जलवायु डेटा सेवा पोर्टल, एसओपी और ब्रोशरों की मुख्‍य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  1. जलवायु डेटा सेवा पोर्टल :

आईएमडी, पुणे ने जलवायु डेटा प्रबंधन और उपयोगकर्ताओं को आपूर्ति के लिए उनके  अनुकूल मंचों के साथ जलवायु डेटा सेवा पोर्टल विकसित किया है। यह पोर्टल वास्‍तविक-समय डेटा अधिग्रहण से शीघ्र डेटा प्रसार तक पूरी तरह स्‍वचालित जलवायु डेटा प्रबन्‍धन का अनुपूरक है। इस पोर्टल के मुख्‍य घटक नीचे सूचीबद्ध किये गये हैं :-

आईएमडी वेधशालाओं द्वारा दर्ज किये गये मौसम अवलोकनों की वास्तविक-समय निगरानी।

•   आईएमडी मेटाडेटा पोर्टल, अन्य रिपोर्ट और डैशबोर्ड कोसमाविष्‍ट करना।

•   डेटा आपूर्ति पोर्टल के माध्यम से मौसम संबंधी डेटा तक ऑनलाइन पहुंच।

•   भारत के ग्रिडिड तापमान और वर्षा के डेटा के लिए निशुल्‍क डाउनलोड सुविधा।

•   जलवायु संबंधी टेबल्स, एक्सट्रीम्स और नॉर्मल।

•   मानसून की वर्षा और चक्रवात की आवृत्तियों के बारे में जानकारी।

•   डेटा विश्लेषण और इंफो ग्राफिक्स।

वेब पोर्टल आईएमडी की वेबसाइट (http://www.mausam.imd.gov.in/)और आईएमडीपुणे की वेबसाइट (http://www.imdpune.gov.in/)के माध्यम से उपलब्ध होगा।

2. मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) :

विभिन्न सामाजिक आर्थिक गतिविधि मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) पर गंभीर मौसम की घटनाओं के परिणामी उच्‍च प्रभाव को देखते हुए इन गंभीर गौसम घटनाओं की निगरानी, पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाएं बहुत आवश्‍यक हैं।  वास्तविक समय की निगरानी, पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के लिए, आईएमडी एसओपी का अनुपालन करता है। अभी हाल में उपकरण और प्रौद्योगिकी में हुए विकास को ध्यान में रखते हुए, आईएमडी ने एसओपी को अपडेट किया है, ताकि विशेष रूप से आपातकालीन मौसम की घटनाओं के लिए मौसम की एक समान निगरानी उपलब्‍ध कराई जा सकें। इसमें निम्‍नलिखित एसओपीशामिल हैं -

•   आईएमडी का मौसम पूर्वानुमान संगठन

•   मौसम पूर्वानुमान में उपग्रह अनुप्रयोग,

•   मौसम पूर्वानुमान में रडार अनुप्रयोग,

  • संख्यात्मक मौसम भविष्यवाणी,

•   सार्वजनिक मौसम सेवाएं,

•   चक्रवात चेतावनी सेवाएं,

•   भारी वर्षा की चेतावनी सेवाएँ,

•   थंडरस्टॉर्म वॉर्निंग सेवाएं,

•   हीट एंड कोल्ड वेव वॉर्निंग सर्विसेज,

•   कोहरे की चेतावनी सेवाएं,

•   नाउ कास्टिंग सेवाएं प्रदान करना,

•   मल्टी-हैजर्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम,

•   शहरी मौसम संबंधी सेवाएं,

•   समुद्री मौसम पूर्वानुमान सेवाएं,

•   मौसम संबंधी संचार एवं शीघ्र चेतावनी प्रसार,

•   एग्रोमैट्रियोलॉजिकल एडवाइजरी सर्विसेज।

•   विमानन मौसम संबंधी सेवाएं,

•   हाइड्रोसंबंधी मैट्रियोलॉजिकलविज्ञान सेवाएं,

•   वायु गुणवत्ता निगरानी और सेवाएँ,

•   पोस्ट इवेंट सर्वेएवं पूर्वानुमान सत्यापन,

•   संचालन मौसम विज्ञान में प्रशिक्षण

ये एसओपी संचालन पूर्वानुमानकर्ताओं के लिए बहुत मददगार साबित होंगी और शोध गतिविधियां संचालित करने के लिए एक मूल्यवान दस्तावेज के रूप में काम करेंगी।

3. ब्रोशर:

आईएमडी के पास देश के लिए विभिन्न मौसम और जलवायु सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए विशेष प्रभाग और केंद्र हैं। आपदा प्रबंधन, क्षेत्रीय अनुप्रयोगों, विभिन्न सामाजिक आर्थिक गतिविधियों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी के प्रभावी उपयोग के लिए जनता और हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए, आईएमडी ने संक्षिप्त इतिहास, हाल की उपलब्धियों, संगठनात्मक संरचनाओं और विभिन्न प्रभागों और उप-कार्यालयों द्वारा उपलब्‍ध कराई गई मौसम की जानकारी और चेतावनी सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए अच्छी तरह से ये ब्रोशर तैयार किए हैं।

Important Notes 👇👇👇

जलवायु डेटा सेवा पोर्टल और विश्व मौसम विज्ञान दिवस

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में भारत सरकार के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने विश्व मौसम विज्ञान दिवस समारोह और जलवायु डेटा पोर्टल का उद्घाटन किया है।


प्रमुख बिन्दु

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 23 मार्च, 2021 को विश्‍व मौसम विज्ञान दिवस (आजादी का अमृत महोत्‍सव) का समारोह आयोजित किया है।
  • इस अवसर पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के जलवायु डेटा सेवा पोर्टल का उद्घाटन भी किया गया है।

जलवायु डेटा सेवा पोर्टल के बारे में

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जलवायु डेटा प्रबंधन और उपयोगकर्ताओं को आपूर्ति के लिए जलवायु डेटा सेवा पोर्टल विकसित किया है।
  • यह पोर्टल वास्‍तविक-समय डेटा अधिग्रहण से शीघ्र डेटा प्रसार तक पूरी तरह स्‍वचालित जलवायु डेटा प्रबन्‍धन का अनुपूरक है।

इस पोर्टल के मुख्‍य घटक निम्नलिखित हैं :-

  • आईएमडी वेधशालाओं द्वारा दर्ज किये गये मौसम अवलोकनों की वास्तविक-समय निगरानी।
  • डेटा आपूर्ति पोर्टल के माध्यम से मौसम संबंधी डेटा तक ऑनलाइन पहुंच।
  • भारत के तापमान और वर्षा के डेटा के लिए निशुल्‍क डाउनलोड सुविधा।
  • मानसून की वर्षा और चक्रवात की आवृत्तियों के बारे में जानकारी।
  • डेटा विश्लेषण और इंफो ग्राफिक्स।

विश्व मौसम विज्ञान दिवस

  • विश्व मौसम विज्ञान दिवस को 23 मार्च को मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत 1961 में की गई थी।
  • दरअसल विश्व मौसम विज्ञान दिवस को विश्व मौसम विज्ञान संगठन के स्थापना दिवस को मनाने के रूप में की गई है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना 23 मार्च, 1950 को को की गई थी।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation)

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन(डबल्यूएमओ), एक अंतरसरकारी संगठन है।
  • डब्ल्यूएमओ कन्वेंशन के अनुमोदन से मार्च 23, 1950 को स्थापित हुआ डब्लूएमओ, एक साल बाद मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), जल विज्ञान और भू-भौतिकी विज्ञान के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गया।
  • यह संगठन, पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध और मौसम के बारे में जानकारी देता है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन(डबल्यूएमओ) का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)

  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) भारत में मौसम पुर्वानुमान की शीर्ष संस्था है।
  • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
  • इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। आईएमडी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है एवं इसके छह प्रमुख क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली में स्थित है।

Wednesday, March 24, 2021

असम का ऐतिहासिक सेना नायक : लाचित बोरफुकन (Lachit Borphukan)

असम का ऐतिहासिक सेना नायक : लाचित बोरफुकन (Lachit Borphukan)


1526 में भारत आए मुगलों (Mughal Empire) ने करीब-करीब पूरे भारत पर एकछत्र राज किया। लेकिन भारत के कुछ इलाके ऐसे भी थे, जहां मुगल बार-बार कोशिश करने के बावजूद अपना राज स्थापित नहीं कर सके। ऐसा ही एक राज्य है असम, जिसमें सैंकड़ों सालों तक अहोम वंश (Ahom Kingdom) का शासन रहा। मुगलों ने इस दौरान कई बार कोशिश की, लेकिन लाचित बोरफुकन (Lachit Borphukan) जैसे योद्धा के चलते मुगल, असम पर कभी भी कब्जा नहीं कर सके। तो आइए जानते हैं असम के इस महान योद्धा के बारे में, जिसने शक्तिशाली मुगलों से टक्कर लेने का फैसला किया और ना सिर्फ टक्कर ली बल्कि मुगलों को हराया भी।


अहोम राजवंश(Ahom Kingdom)

Lachit Borphukan के बारे में जानने से पहले हमें अहोम राजवंश के बारे में जानना जरुरी है। बता दें कि अहोम राजवंश ने असम (Assam) पर करीब 600 सालों तक राज किया। इस राजवंश की स्थापना 1228 ईस्वी में म्यांमार के एक राजा ने की थी। हालांकि असम आकर इस राजवंश ने हिंदू धर्म अपना लिया था। मुगलों और अहोम राजवंश के बीच करीब 70 सालों तक रुक-रुककर लड़ाई चलती रही, लेकिन मुगल इस राजवंश को कभी नहीं जीत सके। जैसा कि सभी जानते हैं कि मुगलों की नीति हमेशा विस्तारवाद की रही। इसी नीति का नतीजा था कि उन्होंने लगभग पूरे भारत पर राज किया। मुगलों और अहोम राजवंश की बीच लड़ाई भी इसी विस्तारवादी नीति के कारण हुई। 1218 से शुरु होकर अहोम राजवंश का असम पर राज अंग्रेजों के जमाने तक मतलब 1826 ईस्वी तक चला।

लाचित बोरफुकन (Lachit Borphukan)

हमारे इतिहास में कई ऐसे योद्धा हुए हैं, जिन्होंने अपनी वीरता से मुगलो और अंग्रेजों से खूब टक्कर ली। लेकिन दुख की बात रही कि हमारे इतिहासकारों ने उन्हें भुला दिया और ऐसे योद्धाओं की कहानी देश की आम जनता तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे ही योद्धाओं में शुमार किया जाता है लाचित बोरफुकन का। बता दें कि लाचित बोरफुकन असम के अहोम राजवंश के सेनापति थे। यहां साफ कर दें कि बोरफुकन, लाचित का नाम नहीं बल्कि उनकी पदवी थी।

लाचित का जन्म साल 24 नवंबर1622 में अहोम राजवंश के एक बड़े अधिकारी के घर हुआ। बचपन से ही काफी बहादुर और समझदार लाचित जल्द ही अहोम राजवंश की सेना के सेनापति यानि कि बोरफुकन बन गए। लाचित ने सेना का सेनापति रहते हुए अहोम सेना को काफी ताकतवर बनाया, जिसका फायदा उन्हें मुगलों के खिलाफ लड़ाई में मिला।

इतिहासकारों का कहना है कि 1662 में मुगल सेना ने गुवाहटी पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद अगले 5 सालों तक गुवाहटी मुगलों के पास रहा। लेकिन 1667 मे गुवाहटी पर एक बार फिर से अहोम राजाओं का कब्जा हो गया। इस लड़ाई के नायक रहे लाचित बोरफुकन, जिन्होंने बड़ी ही चतुराई और वीरता से मुगलों को गुवाहटी से खदेड़ दिया। इसके बाद Lachit Borphukan के नेतृत्व में ही ऐतिहासिक सरायघाट की लड़ाई लड़ी गई, जिसमें मुगलों को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी।

Lachit Borphukan

सरायघाट की लड़ाई

1667 में अहोम राजाओं से मिली करारी हार के बाद मुगल बुरी तरह से तिलमिला गए। जिसके कुछ समय बाद ही मुगल शासक औरंगजेब ने राजपूत राजा राम सिंह के नेतृत्व में विशाल मुगल सेना को अहोम राजवंश पर जीत के लिए रवाना कर दिया। 1669-70 में मुगल सेना और अहोम राजाओं के बीच कई लड़ाईयां लड़ी गईं, जिनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। इसके बाद 1671 में सरायघाट इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी में अहोम सेना और मुगलों के बीच ऐतिहासिक लड़ाई हुई। यह लड़ाई इतिहास की अहम लड़ाईयों में गिनी जाती है, जिसने पानी में लड़ाई की तकनीक को नए आयाम दिए।

सरायघाट की लड़ाई में मुगल सेना बड़े बड़े जहाजों पर सवार होकर असम में घुसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अहोम सेना ने संख्या में कम होते हुए भी तकनीक और चतुराई के दम पर शक्तिशाली मुगल सेना को हरा दिया। कहा जाता है कि सरायघाट की लड़ाई से पहले अहोम सेना के सेनापति लाचित बोरफुकन बीमार हो गए और युद्ध में हिस्सा नहीं ले पाए। जैसे ही युद्ध शुरु हुआ अहोम सेना मुगल सेना से हारने लगी। इसकी सूचना मिलते ही लाचित बीमार होते हुए भी लड़ाई में शामिल हुए और अपनी कमाल की नेतृत्व क्षमता के दम पर सरायघाट की लड़ाई में करीब 4000 मुगल सैनिकों को मार गिराया और उनके कई जहाजों को नष्ट कर दिया। सरायघाट की लड़ाई में करारी हार के बाद मुगल पीछे हट गए और फिर कभी भी असम पर आक्रमण के लिए नहीं लौटे।


सरायघाट की लड़ाई के कुछ समय बाद ही लाचित की बीमारी से मौत हो गई, लेकिन यह वीर योद्धा इतिहास में सदा के लिए अमर हो गया। असम में आज भी लाचित बोरफुकन का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है और हर साल लाचित के जन्मदिवस 24 नवंबर पर असम में लाचित दिवस मनाया जाता है।



Note:-

News Important

चर्चा में क्यों?

  • 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के 75 सप्ताह पूर्व 12 मार्च से “आज़ादी का अमृत महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है | ज्ञातव्य है कि 12 मार्च 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की थी।
  • प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने “आज़ादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम को आगाज करने के दौरान पूर्वोत्तर में मुगल सेना का विजय रथ रोकने वाले अहोम साम्राज्य (Ahom Kingdom) के कमांडर “लाचित बोरफुकन” के नाम का जिक्र भी किया |

लाचित बोरफुकन के बारे में:

  • लचित बोरफुकन का मूल नाम 'चाउ लासित फुकनलुंग' था | बोरफुकन (सेनापति) उनकी सैन्य उपाधि थी |
  • ये 17वीं शताब्दी के एक महान और वीर योद्धा थे। उनकी वीरता के कारण ही उन्हें पूर्वोत्तर भारत का वीर 'शिवाजी' कहा जाता है।
  • लाचित का जन्म साल 24 नवंबर 1622 में अहोम राजवंश के एक बड़े अधिकारी के घर हुआ।
  • बचपन से ही काफी बहादुर और समझदार होने का कारण लाचित जल्द ही अहोम राजवंश की सेना के सेनापति यानि बोरफुकन (सेनापति) बन गए।
  • लचित बोरफुकन को ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे मुगलों के विरुद्ध 1671 में सराईघाट की निर्णायक जंग के लिए जाना जाता है जिसमें इन्होने शक्तिशाली मुगल सेना को हराया था |
  • उस वक्त मुगल शासक औरंगजेब , पूरे भारत पर साम्राज्य स्थापित करना चाहता था और इस उद्देश्य से उसने राम सिंह के नेतृत्व में विशाल मुगल सेना को कामरूप पर अधिकार करने के लिए भेजा।
  • आहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित ने बेहद कम सैनिकों और संसाधन के साथ युद्ध कौशल का ऐसा प्रदर्शन किया कि मुगलों का उत्तर-पूर्व में राज करने की महत्वाकांक्षा पूर्ण न हो सकी |
  • सराईघाट की विजय के लगभग एक वर्ष बाद अर्थात वर्ष 1672 में प्राकृतिक कारणों से लाचित बोरफुकन की मृत्यु हो गई।
  • लाचित बोरफुकन का कोई चित्र उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक पुराना इतिवृत्त उनका वर्णन इस प्रकार करता है, "उनका मुख चौड़ा है तथा पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह दिखाई देता है और कोई भी उनके चेहरे की ओर आँख उठाकर नहीं देख सकता" |
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाचित बोरफुकन को भारत के महान बेटों में से एक बताया |
  • लाचित बोरफुकन के पराक्रम और सराईघाट की लड़ाई में असमिया सेना की विजय का स्मरण करने के लिए संपूर्ण असम में प्रति वर्ष 24 नवम्बर को 'लाचित दिवस' मनाया जाता है ।
  • सराईघाट की लड़ाई के नाम से प्रसिद्ध इस युद्ध में लाचित ने शौर्य का ऐसा प्रदर्शन किया कि नैशनल डिफेंस अकैडमी (NDA) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को उनके नाम पर पड़े लाचित मैडल से सम्मानित किया जाता है।

SCO का संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास : पब्बी-एंटी टेरर 2021 (SCO Pabbi-Anti Terror Joint Exercise 2021)

SCO का संयुक्त आतंकवाद रोधी अभ्यास : पब्बी-एंटी टेरर 2021 (SCO Pabbi-Anti Terror Joint Exercise 2021)


India Pakistan China in SCO Joint Anti Terrorism Exercise: इस साल शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) के सदस्य संयुक्त आतंकवाद निरोधी अभ्यास करेंगे. इन देशों में भारत, पाकिस्तान और चीन का नाम भी शामिल है. उज्बेकिस्तान के ताशकंद में 18 मार्च को क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढांचे की परिषद (आरएटीएस) की 36वीं बैठक में संयुक्त अभ्यास ‘पब्बी-एंटी टेरर-2021’ करने का फैसला किया गया है. एससीओ (SCO Countries) के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने बैठक में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए 2022-24 के लिहाज से सहयोग के कार्यक्रम के मसौदे को मंजूरी भी दी है.

चीन की सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने आरएटीएस के एक बयान के हवाले से कहा है, ‘आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण वाले चैनलों को चिह्नित करने और उन्हें दबाने में एससीओ के सदस्य देशों के सक्षम अधिकारियों के बीच सहयोग बढ़ाने का फैसला किया गया है (China on Shanghai Cooperation Organization).’ शिन्हुआ की खबर के अनुसार भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गीज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान के समक्ष अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल और आरएटीएस की कार्यसमिति ने बैठक में भाग लिया है.

आठ सदस्यीय ब्लॉक ने कहा कि संयुक्त अभ्यास 'पाब्बी-एंटी-टेरर 2021 (Pabbi-Anti-Terror 2021)’ आयोजित करने का निर्णय उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना परिषद (RATS) की 36 वीं बैठक के दौरान घोषित किया गया था. भारत, पाकिस्तान और चीन सहित शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) के सदस्य इस साल संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास करेंगे.

“आतंकवादी गतिविधियों को वित्तपोषित करने वाले चैनलों की पहचान करने और दबाने के लिए SCO सदस्य राज्यों के सक्षम अधिकारियों के बीच सहयोग में सुधार करने के निर्णय लिए गए हैं. बैठक में भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और RATS कार्यकारी समिति के सक्षम अधिकारियों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

RATS एससीओ का स्थायी अंग

आरएटीएस का मुख्यालय ताशकंद में है. यह एससीओ का स्थायी अंग है, जो आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ सदस्य देशों के सहयोग को बढ़ाने के लिए काम करता है. यह कार्यक्रम इसलिए भी अधिक महत्व रखता है, क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले भारत, पाकिस्तान और चीन (India China Pakistan in SCO) के संबंध बीते कुछ समय से ठीक नहीं चल रहे हैं. चीन और भारत के बीच बीते साल से तनाव चल रहा है. चीन भारत के क्षेत्र पर दावा करता है और अपनी आक्रामकता भी लगातार बढ़ा रहा है, जिसके बाद अभी भी दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है.

फिलीपींस के इलाके में घुसा चीन

वहीं चीन अन्य कई देशों के लिए भी परेशानी बना हुआ है. कुछ समय पहले ही खबर आई थी कि चीन ने फिलीपींस के जलक्षेत्र में अपने जहाज घुसा दिए थे. फिलीपींस (China’s Aggression in Philippines) के रक्षा प्रमुख ने दक्षिण चीन सागर के उसके नियंत्रण क्षेत्र वाले रीफ में मौजूद 200 से ज्यादा जहाजों के चीनी बेड़े को रविवार को वहां से हटाने की मांग की और कहा कि उनकी उपस्थिति ‘क्षेत्र का सैन्यीकरण कर उकसावे की कार्रवाई करने जैसी है.’ उन्होंने यह भी कहा कि चीनी जहाजी बेड़े पर मिलिशिया के सदस्य सवार हैं.

Note:-

News Important 

चर्चा में क्यों?

  • उज्बेकिस्तान के ताशकंद में 18 मार्च को क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (Regional Anti-Terror Structure: RATS) की 36वीं बैठक में संयुक्त अभ्यास ‘पब्बी-एंटी टेरर-2021’ करने का फैसला किया गया है |
  • ज्ञातव्य है कि ‘पब्बी-एंटी टेरर-2021’ अभ्यास पाकिस्तान के खैबर पख्तून प्रांत के नौशेरा जिले में पब्बी शहर के पास पाकिस्तान के नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर में आयोजित किया जाएगा |

मुख्य तथ्य :

  • पब्बी-एंटी टेरर-2021 अभ्यास का आयोजन पाकिस्तान में होने के कारण भारतीय सैनिक पाकिस्तान जाएंगे या नहीं, यह मामला विचाराधीन है |
  • इससे पहले भारत ने पिछले वर्ष सितंबर में रूस में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के आतंकवाद-निरोधी `कवकाज़' में पाकिस्तान की हिस्सेदारी के कारण भाग नहीं लिया था |
  • इसके अलावा भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष गालवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी और लद्दाख के पैंगोंग त्सो के प्रत्येक तरफ सैन्य टुकड़ी आज भी आमने-सामने है |
  • विदित हो कि भारत सरकार ,भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मानती है एवं चीन को उसका मददगार |
  • ऐसे में भारत का इस युद्धाभ्यास में भाग लेने की संभावना पर संशय है |

क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (Regional Anti-Terror Structure: RATS) के बारे में

  • RATS की स्थापना वर्ष 2004 में शंघाई सहयोग सम्मेलन (SCO) के शिखर सम्मेलन में की गई थी |
  • RATS शंघाई सहयोग सम्मेलन (SCO) का स्थायी अंग है जिसका मुख्यालय मुख्यालय ताशकंद में स्थित है |
  • इसका उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ सदस्य देशों में सहयोग को बढ़ाना है |
  • RATS में प्रतिनिधित्व के लिये सभी सदस्य देश अपने-अपने स्थायी प्रतिनिधि भेजते हैं और जिनमें से एक व्यक्ति तीन वर्षों के लिये RATS के अध्यक्ष के रूप में चुना जाता है।
  • इस वर्ष 18 मार्च को क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढांचे की परिषद (RATS) की 36वीं बैठक सम्पन्न हुई जिसमें SCO के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने बैठक में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए 2022-24 के लिहाज से सहयोग के कार्यक्रम के मसौदे को मंजूरी दी।

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation: SCO) के बारे में

  • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है और इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी।
  • इसका मुख्यालय चीन के बीजिंग शहर में स्थित है |
  • 2017 में इसमें भारत और पाकिस्तान के शामिल होने के बाद आठ देश (कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान) इसके स्थायी सदस्य हैं और अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया पर्यवेक्षक के रूप में SCO में शामिल हैं।

Sunday, March 21, 2021

World Water Day 22 march : जानिए, पानी को बर्बाद होने से बचाने के कुछ खास और अहम तरीके


विश्व जल दिवस 22 मार्च
                                     Save water

विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है[1]। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों[2] में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है।ब्राजील में  रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित[3] पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना था। 

सबको भारत रत्न सचिन तेंदुलकर से प्रेरणा लेनी चाहिए जो सिर्फ 1 बाल्टी पानी से नहाते हैं. वाशिंग मशीन में रोज-रोज थोड़े-थोड़े कपड़े धोने के बजाए कपड़ों को इकठ्ठा कर लें और एक साथ धोए।

दुनिया तरक्की कर रही है, नई-नई तकनीकों का विकास हो रहा है, लेकिन इस दौर में भारत समेत दुनिया के कई ऐसे देश भी हैं, जिन्हें पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. दुनिया में कई ऐसे इलाके हैं, जहां साफ और पीने लायक पानी की कमी की वजह से कई बीमारियां महामारी का रूप ले रही हैं. कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए छिड़ सकता है. दुनिया में ऐसे हालात को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र दुनियाभर के लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है कि पानी की बर्बादी को रोका जाए.

साल 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित ‘पर्यावरण और विकास’ पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में विश्व जल दिवस की पहल हुई. फिर 22 मार्च 1993 को पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया. इसके बाद हर साल पानी की अहमियत, जरूरत और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको बताते हैं पानी की बर्बादी रोकने को कुछ तरीके.

इन तरीकों से बचेगा पानी

अपने घर और दफ्तर में ज्यादा बहाव वाले फ्लश टैंक को कम बहाव वाले फ्लश टैंक में बदलें. मुमकिन हो तो दो बटन वाले फ्लश का टैंक खरीदें, जिसमें पेशाब के बाद थोड़ा पानी और शौच के बाद ज्यादा पानी का बहाव होता है. कहीं भी अगर नल या पाइप लीक होने लगे तो उसे फौरन ठीक करवाएं, इससे काफी पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. बर्तन धोते वक्त नल को लगातार खोलने के बजाए अगर बाल्टी में पानी भरकर काम किया जाए तो काफी पानी बचाया जा सकता है.

गाड़ी धोते वक्त पाइप की बजाए बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें, इससे काफी पानी बर्बाद होने बचता है. नहाते समय शॉवर की बजाए बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें तो काफी पानी की बचत होगी. इसके लिए सबको भारत रत्न सचिन तेंदुलकर से प्रेरणा लेनी चाहिए जो सिर्फ 1 बाल्टी पानी से नहाते हैं. वाशिंग मशीन में रोज-रोज थोड़े-थोड़े कपड़े धोने के बजाए कपड़ों को इकठ्ठा कर लें और एक साथ धोएं.

ब्रश करते समय, दाढ़ी बनाते वक्त या सिंक में बर्तन धोते समय नल तभी खोलें जब आपको पानी की जरूरत हो, बेकार में पानी को बहने ना दें. सार्वजनिक पार्क, गली-मोहल्ले, अस्पताल, स्कूलों में जहाँ कहीं भी नल की टोंटियां खराब हों या पाइप से पानी लीक हो रहा हो, तो फौरन संबंधित विभाग या व्यक्ति को सूचित करें. इस तरह हजारों लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है.

बाग-बगीचों और घर के आसपास पौधों में पाइप से पानी देने के बजाए वाटर कैन का इस्तेमाल करके काफी पानी की बचत हो सकती है. आरओ मशीन में फिलटर होने वाले कुल पानी का तकरीबन 75 फीसदी बर्बाद हो जाता है, इसलिए कोशिश करें कि मशीन के वेस्ट पाइप से निकलने वाले पानी को बाल्टी में इकठ्ठा कर लिया जाए, या पाइप लंबा करके उसे पौधों को सींचने के काम में लाया जाए. इसी तरह एसी से निकलने वाले पानी को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

औद्योगिक इलाकों और कारखानों में पानी की खपत को कम करने लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. अक्सर लोग सब्जियों और फलों को रनिंग वाटर से धोते हैं, अगर इसकी जगह आप किसी बड़े भगौने या बर्तन में पानी भरकर सब्जियों को धोएं तो पानी भी कम लगेगा और वो ठीक से साफ भी हो जाएंगी.


जल दिवस का महत्व

यह निर्विवाद सत्य है कि सभी जीवित प्राणियों की उत्पत्ति जल में हुई है। वैज्ञानिक अब पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर पहले पानी की खोज को प्राथमिकता देते हैं।  पानी के बिना जीवन जीवित ही नहीं रहेगा। इसी कारणवश अधिकांश संस्कृतियां नदी के पानी के किनारे विकसित हुई हैं … इस प्रकार ‘जल ही जीवन है’ का अर्थ सार्थक है। दुनिया में, 99% पानी महासागरों, नदियों, झीलों, झरनों आदि के अनुरूप है। केवल 1% या  इससे भी कम पानी पीने के लिए उपयुक्त है। हालाँकि, पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। केवल पानी की कमी पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण है। बढ़ती आबादी और इसके परिणामस्वरूप बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण, शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ रही है। आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है,  किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है? असाधारण आवश्यकता को पूरा करने के लिए, जलाशय गहरा गया है। इसके परिणामस्वरूप, पानी में लवण की मात्रा में वृद्धि हुई है।

वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता हैं। इस अभियान को प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिये अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन भी शामिल है। इस कार्यक्रम की शुरूआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम (विषय) का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने की सारी जिम्मेवारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की हैl


विश्व जल दिवस का थीम

  • 1. वर्ष 2016 के विश्व जल दिवस का थीम “जल और नौकरियाँ” था
  • 2. वर्ष 2015 के विश्व जल दिवस का थीम “जल और दीर्घकालिक विकास” था
  • 3. वर्ष 2014 के विश्व जल दिवस का थीम “जल और ऊर्जा” थाl
  • 4. वर्ष 2013 के विश्व जल दिवस का थीम “जल सहयोग” थाl
  • 5. वर्ष 2012 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम “जल और खाद्य सुरक्षा” था
  • 6. वर्ष 2017 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम "अपशिष्ट जल" था|
  • 7. वर्ष 2018 के लिए विश्व जल दिवस का थीम "जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान" था
  • 8. वर्ष 2019 के लिए विश्व जल दिवस का थीम "किसी को पीछे नहीं छोड़ना" था
  • 9. वर्ष 2020 के लिए विश्व जल दिवस का थीम है "जल और जलवायु परिवर्तन"[5]|
  • 10. वर्ष 2021 के लिए विश्व जल दिवस का थीम है " पानी का महत्व " रखा गया है।

कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव 2021: FAO : डेली करेंट अफेयर्स

कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव 2021: FAO


चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा एक नई रिपोर्ट “कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव: 2021 (The impact of disasters and crises on agriculture and food security: 2021)” प्रस्तुत की है।
  • इस रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं एवं अन्य संकटों से कृषि के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा पहली बार इस रिपोर्ट में आर्थिक नुकसान को कैलोरी और पोषण के समतुल्य मापने का प्रयास किया गया है।

“कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं और संकटों का प्रभाव: 2021” रिपोर्ट के बारे में

  • इतिहास में शायद ही किसी समय कृषि खाद्य प्रणालियों को इतने अधिक संकटों का सामना करना पड़ा होगा जितना कि पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के समय। उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान मेगाफ़ायर (व्यापक पैमाने पर जंगलों में आग लगना), व्यापक चरम मौसम की घटनाएं, असामान्य रूप से बड़े रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड के हमले एवं कई जैविक खतरे सामने आए। उपरोक्त सन्दर्भ में खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा किए गए अध्ययन में निम्न निष्कर्ष सामने आते हैं-
  • हाल के वर्षों में आपदाओं एवं संकटों की आवृत्ति, तीव्रता और जटिलता में वृद्धि हुई है।
  • ये आपदाएं कृषि आजीविका को तबाह कर सकते हैं जिसके कारण घरेलू से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नकारात्मक आर्थिक परिणाम होंगे एवं यह संभवत: कई पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे।
  • खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार 1970 से 1980 के दशक की तुलना में वर्तमान में आपदाओं की मात्रा में 3 गुना की वृद्धि हो गई है।
  • किसी आपदा या संकट के समग्र प्रभाव पर्यटन, वाणिज्य और उद्योग जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि पर ज्यादा पड़ता है। उल्लेखनीय है कि किसी आपदा या अन्य संकट का 63% समग्र प्रभाव केवल कृषि पड़ता है।

सबसे ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्र

  1. अल्पविकसित और निम्न मध्यम आय वाले देशों में आपदाओं एवं अन्य संकटों के कारण कृषि क्षेत्र को सर्वाधिक हानि उठाना पड़ा। उल्लेखनीय है कि 2008 से 2018 तक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त हुए फसलों एवं पशुधन की समग्र लागत 108 अरब डालर थी।
  2. इस अवधि में आपदाओं हेतु सर्वाधिक सुभेद्य क्षेत्र एशिया था एवं इस काल में इस क्षेत्र में कृषि को 49 मिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। इसके उपरांत अफ्रीका में 30 बिलियन डॉलर और लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन में 29 बिलीयन डॉलर का नुकसान हुआ।
  3. कृषि को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाले सबसे बड़े कारक के रूप में सूखे की पहचान की गई है। इसके उपरांत कृषि को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य कारकों में बाढ़, तूफान, कीट एवं बीमारियां और जंगली जानवर आते हैं।
  4. कम बारिश से या मानसून की विफलता के कारण इस काल में फसल और पशुधन उत्पादन में कुल 34% का नुकसान हुआ जबकि इसी अवधि में जैविक आपदाओं से नौ प्रतिशत उत्पादन में गिरावट आई।
  5. आपदाओं और अन्य संकटों के साथ-साथ COVID-19 महामारी कृषि क्षेत्र एवं खाद्य सुरक्षा में मौजूद समस्याओं को और बढ़ा रही है।

खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव

  1. आपदाओं के कारण न केवल देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह खाद्य सुरक्षा और देश में पोषण के स्तर को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। उल्लेखनीय है कि खाद्य एवं कृषि संगठन के द्वारा पहली बार इस रिपोर्ट में आर्थिक नुकसान को कैलोरी और पोषण के समतुल्य मापने का प्रयास किया गया है।
  2. 2008 से 2018 के मध्य अल्प एवं कम विकसित देशों में फसल और पशुधन उत्पादन का नुकसान प्रति वर्ष 6.9 ट्रिलियन किलो-कैलोरीज के नुकसान के बराबर था। उल्लेखनीय है कि यह नुकसान 7 मिलियन वयस्कों के द्वारा पूरे वर्ष भर किए गए कैलोरी सेवन के बराबर था।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के बारे में

  • खाद्य और कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष विशेष एजेंसी है जिसका उद्देश्य सबके लिए खाद्य सुरक्षा हासिल करना है। दुसरे शब्दों में FAO को यह सुनिश्चित करना कि लोगों को पर्याप्‍त मात्रा में ऊंची गुणवत्‍ता वाला भोजन नियमित रूप से सुलभ हो ताकि वे सक्रिय और स्‍वस्‍थ रहें। खाद्य एवं कृषि संगठन का कार्य वश्विक पोषण स्‍तर को उठाना, ग्रामीण जनसंख्‍या का जीवन बेहतर करना और विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था की वृद्धि में योगदान करना है। इस संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी एवं इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है। खाद्य और कृषि संगठन के कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण से संबंधित निम्नलिखित कार्य किए जाते है-
  1. वैज्ञानिक या तकनीकी मानकों, प्रचलित सर्वश्रेष्ठ विधियों और दृष्टिकोणों का निर्माण और उनका समर्थन करना जिसे राष्ट्रों के स्तर स्तर पर लागू किया जा सके।
  2. अंतरराष्ट्रीय समझौतों और सम्मेलनों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानदंडों को स्थापित करते हुए सभी भागीदारों के साथ मिलकर काम करना।
  3. वैश्विक स्तर पर डेटाबेस और सूचना प्रणालियों का विकास और समर्थन करना।
  4. अध्ययन, रिपोर्ट और सूचनाओं का प्रकाशन करना उदाहरण के लिए “द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड” रिपोर्ट
  5. स्थायी कृषि में दीर्घकालिक विकास एवं नवाचार के लिए सभी हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों को बढ़ाना देना और प्रासंगिक डिजिटल उपकरणों तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना।
  6. क्षमता विकास और जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रम को बनाना और उनका समर्थन करना।

Saturday, March 20, 2021

विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) 20 March 2021

 

(Important Day महत्वपूर्ण दिवस) 20 मार्च (20th March) : विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day)


  • प्रति वर्ष 20 मार्च को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व गौरैया दिवस’ (World Sparrow Day) मनाया जाता है। विश्व भर में गौरैया की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 5 भारत में भी मिलती हैं। गौरैया की घटती आबादी को देखते हुए ‘नेचर फॉरेवर सोसायटी’ के अध्यक्ष मोहम्मद दिलावर के विशेष प्रयासों से पहली बार वर्ष 2010 में विश्व गौरैया दिवस मनाया गया था। महाराष्ट्र के नासिक जिले के मोहम्मद दिलावर वर्ष 2008 से गौरैया के संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं।
  • इस वर्ष विश्व गौरैया दिवस की थीम है 'आई लव स्पैरो'

गौरेया पक्षी के बारे में जानकारी

  • घरेलू गौरेया पास्सेर डोमेस्टिकस विश्व गौरैया परिवार पास्सेराइडे की सबसे पुरानी सदस्य है। कुछ लोग मानते हैं कि यह वीबर फिंच परिवार की सदस्य है।
  • इस पक्षी की कई अन्य प्रजातियां भी पायी जातीं हैं। इन्हें प्राय इसके आकार तथा गर्दन के रंग के आधार पर अलग किया जाता है। विश्व के पूर्वी भाग में पायी जाने वाली इस चिड़िया के गाल धवल तथा पश्चिमी भाग में भूरे होते हैं। इसके अलावा नर गौरैया की छाती का रंग अंतर के काम में लाया जाता है। दक्षिण एशिया की गौरैया पश्चिमी गोलार्ध्द की तुलना में छोटी होती है।
  • यूरोप में मिलने वाली गौरैया को पास्सेर डोमेस्टिकस. खूजिस्तान में मिलने वाली को पास्सेर पर्सीकस, अफगानिस्तान व तुर्कीस्तान में पास्सेर बैक्टीरियन, रूसी तुर्कीस्तान के पूर्वी भाग के सेमीयेरचेंस्क पर्वतों पर मिलने वाली गौरैया को पास्सेर सेमीरेट्सचीन्सिस कहा जाता है। फिलीस्तीन और सीरिया में मिलने वाली गौरैया की छाती का रंग हल्का होता है।
  • भारत, श्रीलंका और हिमालय के दक्षिण में पायी जानी वाली गौरैया को पास्सेर इंडिकस कहते हैं जबकि नेपाल से लेकर कश्मीर श्रीनगर में इस चिड़िया की पास्सेर परकीनी नामक प्रजाति पायी जाती है।
  • भारत के हिन्दी पट्टी इलाके में इसका लोकप्रिय नाम गौरैया है तथा केरल एवं तमिलनाडु में इसे कुरूवी के नाम से जाना जाता है। तेलुगू में इसे पिच्चूका, कन्नड में गुब्बाच्ची, गुजराती में चकली, मराठी में चिमनी, पंजाब में चिरी, जम्मू कश्मीर में चायर, पश्चिम बंगाल में चराई पाखी तथा उडीसा में घाराचटिया कहा जाता है। उर्दू भाषा में इसे चिड़िया और सिंधी भाषा में इसे झिरकी के नाम से पुकारा जाता है।

शारीरिक लक्षण

  • 14 से 16 सेंटीमीटर लंबी इस पक्षी के पंखों की लंबाई 19 से 25 सेंटीमीटर तक होती है जबकि इसका वजन 26 से 32 ग्राम तक का होता है। नर गौरैया का शीर्ष व गाल और अंदरूनी हिस्से भूरे जबकि गला. छाती का ऊपरी हिस्सा श्वेत होता है। जबकि मादा गौरैया के सिर पर काला रंग नहीं पाया जाता बच्चों का रंग गहरा भूरा होता है।
  • गौरैया की आवाज की अवधि कम समय की और धात्विक गुण धारण करती है जब उसके बच्चे घोंसले में होते हैं तो वह लंबी सी आवाज निकालती है। गौरैया एक बार में कम से कम तीन अंडे देती है। इसके अंडे का रंग धवल पृष्ठभूमि पर काले .भूरे और धूसर रंग का मिश्रण होता है। अंडो का आकार अलग अलग होता है जिन्हें मादा गौरैया सेती है। इसका गर्भधारण काल 10 से 12 दिन का होता है। इनमें गर्भधारण की क्षमता उम्र के साथ बढती है और ज्यादा उम्र की चिड़िया का गर्भकाल का मौसम जल्द शुरू होता है।

गौरेया पक्षी से संबंधित अन्य तथ्य

  • घरेलू गौरैया को एक समझदार चिड़िया माना जाता है और यह इसकी आवास संबंधी समझ से भी पता चलता है जैसे घोसलों की जगह. खाने और आश्रय स्थल के बारे में यह चिड़िया बदलाव की क्षमता रखती है।
  • विश्वभर में गाने वाली चिड़िया के नाम से मशहूर गौरैया एक सामाजिक पक्षी भी है तथा लगभग साल भर यह समूह में देखा जा सकता है। गौरैया का समूह 1.5 से दो मील तक की दूरी की उडान भरता है लेकिन भोजन की तलाश में यह आगे भी जा सकता है।
  • गौरैया मुख्य रूप से हरे बीज, खासतौर पर खाद्यान्न को अपना भोजन बनाती है। लेकिन अगर खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है तो इसके भोजन में परिवर्तन आ जाता है इसकी वजह यही है कि इसके खाने के सामानों की संख्या बहुत विस्तृत है। यह चिड़िया कीड़ो मकोड़ों को भी खाने में सक्षम है खासतौर पर प्रजनन काल के दौरान यह चिड़िया ऐसा करती है।
  • घरेलू गौरैया को अपने आवास के निर्माण के लिए आम घर ज्यादा पसंद होते हैं। वे अपने घोंसलों को बनाने के लिए मनुष्य के किसी निर्माण को प्राथमिकता देती हैं। इसके अलावा ढंके खंभों अथवा घरेलू बगीचों या छत से लटकती किसी जगह पर यह पक्षी घोंसला बनाना पसंद करता है लेकिन घोंसला मनुष्य के आवास के निकट ही होता है।
  • नर गौरैया की यह जिम्मेदारी होती है कि वह मादा के प्रजननकाल के दौरान घोंसले की सुरक्षा करे और अगर कोई अन्य प्रजाति का पक्षी गौरैया समुदाय के घोंसले के आसपास घोंसला बनाता है तो उसे गौरैया का कोपभाजन बनना पडता है। गौरैया का घोंसला सूखी पत्तियों व पंखों और डंडियों की मदद से बना होता है। इसका एक सिरा खुला होता है।

क्यों चिंता की बात है?

  • गौरैया गिद्ध के बाद सबसे संकट ग्रस्त पक्षी है। यूरोप में गौरैया संरक्षण-चिंता के विषय वाली प्रजाति बन चुकी है और ब्रिटेन में यह रेड लिस्ट में शामिल हो चुकी है।
  • भारत में भी इस चिड़िया की जनसंख्या में हाल के वर्षो में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। यूरोप महाद्वीप के कई जगहों पर पायी जाने वाली गौरैया की तादाद में यूनाइटेड किंगडम. फ्रांस. जर्मनी, चेक गणराज्य, बेल्जियम, इटली और फिनलैंड में खासी कमी पायी गयी है।
  • केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय भी मानता है कि देशभर में गौरेया की संख्या में कमी आ रही है। देश में मौजूद पक्षियों की 1200 प्रजातियों में से 87 संकटग्रस्त की सूची में शामिल हैं। गौरैया के जीवन संकट को देखते हुए वर्ष 2012 में उसे दिल्ली के राज्य पक्षी का दर्जा भी दिया गया था।

गौरैया की जनसंख्या में गिरावट के कारण?

  • सीसे रहित पेट्रोल का प्रयोग होना जिसके जलने से मिथाइल नाइट्रेट जैसे पदार्थ निकलते हैं। ये पदार्थ छोटे कीड़े के लिए जानलेवा होते हैं और ये कीड़े ही गौरैया के भोजन का मुख्य अंग हैं।
  • भवनों के नए तरह के डिजायन जिससे गौरेया को घोंसला बनाने की जगह नहीं मिलती है। कंक्रीट के भवनों की वजह से घोंसला बनाने में मुश्किल आती हैं।
  • इसके अलावा घरेलू बगीचों की कमी व खेती में कीटनाशकों के बढते प्रयोग के कारण भी इनकी संख्या में कमी आयी है।
  • हाल के दिनों में इनकी जनसंख्या में गिरावट का मुख्य कारण मोबाइल फोन सेवा मुहैया कराने वाली टावरें हैं। इनसे निकलने वाला विकिरण गौरैया के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। ये विकिरण कीड़ो-मकोड़ों और इस चिड़िया के अंडो के विकास के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
  • इंडियन क्रेन्स और वेटलैंडस वकिर्गं ग्रुप से जुडे के एस गोपी के अनुसार हालांकि मोबाइल टावरों के विकिरण बारे में कोई ठोस सुबूत या अध्ययन नहीं है जो इसकी पुष्टि कर सके पर एक बात निश्चित है कि इनकी जनसंख्या में गिरावट अवश्य आयी है। उनके अनुसार खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक आदि वजहों से गौरैया का जीवन परिसंकटमय हो गया है।
  • कोयम्बटूर के सालिम अली पक्षी विज्ञान केंद्र एवं प्राकृतिक इतिहास के डा. वी एस विजयन के अनुसार यह पक्षी विश्व के दो तिहाई हिस्सों में अभी भी पाया जाता है लेकिन इसकी तादाद में गिरावट आयी है। बदलती जीवन शैली और भवन निर्माण के तरीकों में आये परिवर्तन से इस पक्षी के आवास पर प्रभाव पड़ा है।

गौरैया के संरक्षण के लिए क्या करे?

हालाँकि 'State of India's Birds Report 2020' के अनुसार गौरैया और मोर जैसे पक्षियों के सन्दर्भ में सकारात्मक खबर है। फिर भी इस दिशा में काफी कुछ करने की आवश्यकता है-

  • अगर वह हमारे घर में घोंसला बनाए, तो उसे बनाने दें। हम नियमित रूप से अपने आंगन, खिड़कियों और घर की बाहरी दीवारों पर उनके लिए दाना-पानी रखें।
  • कृत्रिम घर बनाये (जूते के डिब्बों, प्लास्टिक की बड़ी बोतलों और मटकियों में छेद करके) एवं उन्हें उचित स्थानों पर लगाये
  • शोधकर्ताओ और जनता के बीच सहयोग को बढ़ावा दें
  • उपेक्षित प्रजातियो को बेहतर ढंग से समझने के प्रयास शुरू करें
  • गिरावट के कारणो की जांच करें
  • देखे हुये पक्षियो को अभिलिखित करें एवं सार्वजनिक मंच पर डेटा प्रविष्ट करें
  • कम बर्डवॉचिग वाले क्षेत्रों में जानकारी के अंतर को भरने में मदद करें
  • बर्डवॉचिग का संदेश फैलाएं, और क्षेत्रीय निगरानी प्रयासों की शुरुआत करें
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(Important Day महत्वपूर्ण दिवस) 20 मार्च (20th March) : अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness)


(Important Day महत्वपूर्ण दिवस) 20 मार्च (20th March) : अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness)


  • प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness) मनाया जाता है। इस बार 2021 की थीम है ‘Happiness For All Forever’।
  • संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने 12 जुलाई 2012 को प्रस्ताव 66/281 के तहत हर वर्ष 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस प्रस्ताव को भूटान ने प्रस्तुत किया था। अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की अवधारणा भूटान के सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Hppiness- GNH) संकल्पना पर आधारित है। 1970 के दशक में भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे वाई थिनले ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता- GNH की संकल्पना दी थी। भूटान विश्व का एक ऐसा देश है जो 1970 से ही राष्ट्रीय आय की तुलना में राष्ट्र की खुशहाली को तरजीह देता आया है।
  • 2015 में यूएन ने 17 सतत विकास लक्ष्यों को लॉन्च किया जिसमे तीन प्रमुख पहलुओं पर बल दिया गया (गरीबी को समाप्त करने, असमानता को कम करना और हमारे ग्रह की रक्षा करना) है। ये हमें कल्याण और खुशी की ओर ले जाते हैं।

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट:

  • प्रसन्नता को मापने की अवधारणा सर्वप्रथम भूटान से शुरू हुई थी। भूटान के प्रस्ताव पर सतत् विकास समाधान नेटवर्क ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत साल 2012 में पहली विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट जारी की थी। पहली रिपोर्ट में भारत का स्थान 111वाँ था, जबकि डेनमार्क पहले स्थान पर था।
  • वर्ष 2012 से जारी की जाने वाली इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों को अपने नागरिकों की संतुष्टि एवं प्रसन्नता के स्तर को ध्यान में रखते हुए लोक-नीतियों के निर्माण हेतु प्रेरित करना है।

विश्व प्रसन्नता सूचकांक के प्रमुख घटक

  1. जीडीपी, प्रति व्यत्ति आय
  2. स्वस्थ जीवन प्रत्याशा
  3. सामाजिक स्वतंत्रता
  4. भ्रष्टाचार का अभाव
  5. सामाजिक अवलंबन
  6. उदारता

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2021के बारे में

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solutions Network) ने विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2021 जारी कर दी गयी है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में गैलप वर्ल्ड पोल और लॉयड्स रजिस्टर फाउंडेशन (Gallup World Poll and Lloyd’s Register Foundation) के डेटा की मदद ली जाती है जो इसे वर्ल्ड रिस्क पोल(World Risk Poll) तक पहुच प्रदान करने में समर्थ बनाते है। 2021 की रिपोर्ट में COVID डेटा हब के हिस्से के रूप में ICL-YouGov बिहेवियर ट्रैकर के डेटा को भी शामिल किया गया है।
  • विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2021में फिनलैंड लगातार 4 वषों से प्रथम स्थान पर बना हुआ है डेनमार्क द्वितीय और स्विट्जरलैंड को तीसरा स्थान मिला है। इस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 139 रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 एवं 2019 में भारत की रैंकिंग क्रमशः144 एवं 140 थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान 105 वें, बांग्लादेश 101 वें और चीन 84 वें स्थान पर है।
  • 2021 की इस रिपोर्ट में सबसे निचले स्थान पर अफगानिस्तान (149) काबिज है। इस रिपोर्ट में आखिरी सूची में सामिल अन्य देश जिम्बाब्वे (148), रवांडा (147), बोत्सवाना (146) और लेसोथो (145) है।